योगी के राज़ में कांवड़ सेवकों को भी अनुमति के लिए अफसरों के यहां दर - दर भटकना पड़ रहा हैं। SO से लेकर FSO तक सब लापरवाह।
लोनी प्रशासन की यह कैसी नीति.. कांवड़ सेवकों के लिए आसान नहीं शिविर की अनुमति
लोनी, 13 जुलाई: इसे शिवभक्त कावड़ियों के हित में समझा जाए या अनहित में जो लोनी के प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते इस बार कावड़ियों के लिए शिविर की व्यवस्था करने वाले आस्थावानों को समय पर अनुमति मिल पाना असंभव सा दिखने लगा है। रोषित नागरिकों ने शिविर की अनुमति के लिए उचित सुविधा मुहैया कराने की मांग की है।
गौरतलब हो कि कोरोना के कारण 2 वर्षों के उपरांत इस बार कावड़ लाने वाले शिव भक्तों की सुख सुविधा के लिए योगी सरकार ने तमाम सरकारी महकमों को विशेष निर्देश पारित किए हैं। यही नहीं जहां काँवड़ लाने वाले शिवभक्तों के बीच एक विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है वहीं दूसरी ओर उनकी सेवा में शिविर व्यवस्था करने वाले सेवक भी पूरी तरह गदगद है। मगर कितने अफ़सोस की बात है कि जहां कावड़ियों की सेवार्थ सरकार द्वारा स्वयं पर्याप्त संख्या में शिविर व्यवस्था होती नज़र आ रही है वहीं लोनी की नकारी प्रशासनिक नीति के चलते आस्थावान नागरिकों को भी शिविर व्यवस्था करने की अनुमति ले पाना एक टेढ़ी खीर बन गया है।
जबकि कावड़ियों के आने का सिलसिला कुछ ही दिन बाद शुरू होने वाला है। ऐसा ही एक प्रकरण जनपद गाजियाबाद , लोनी के सेवाधाम-लोनी बॉर्डर पाइप लाइन मार्ग पर बन्द फाटक से सामने आया है।
हजारों की तादाद में आते हैं कांवड़ियां, शिविर अनुमति के लिए भटक रहे है दर-दर सेवक
बता दें कि टीला मोड़ से सेवाधाम-लोनी बॉर्डर पाइप लाइन वह मार्ग है जहां से हजारों की तादाद में गंगोत्री व हरिद्वार की ओर से आने वाले शिव भक्त कावड़िया आते हैं। इन शिवभक्तों में एक बड़ी संख्या ऐसे कावड़ियों की होती है जो दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान जाने वाले वाले होते हैं और इसी रास्ते से होकर जाते हैं। यही कारण है कि दूर जाने वाले इन कावड़ियों की सुख सुविधा को देखते हुए आस्थावान लोग पहले से शिविर व्यवस्था में लग जाते हैं। लगभग 5 किलोमीटर दूरी वाले उक्त मार्ग पर दर्जन से अधिक ऐसे शिविरों की व्यवस्था की जाती है जहा सभी शिवभक्त कावड़ियों के नहाने-धोने, खाने-पीने व सोने के अलावा उपचार आदि की भी व्यवस्था होती है। जबकि लोनी बॉर्डर थाने के आस-पास भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा शिविर व्यवस्था की जाती है। मगर सरकारी नीतियों के चलते उन्हें इस बार शिविर लगाने की अनुमति हेतु बार-बार विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं ।
इसके बावजूद उन्हें सफ़लता नहीं मिल पा रही है। पीड़ित आस्थावान आनंद विहार कॉलोनी के निवासी खेमचंद कश्यप पुत्र बृजेश कुमार कश्यप का आरोप है कि
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कांवड़ सेवक श्री खेमचंद |
" योगी सरकार में भी शिवभक्त कांवड़ियों की सेवा के लिए लगाये जाने वाले शिविर की अनुमति हेतु उन्हे दर-दर ठोकरें खानी पड़ रही है। उनका कहना है कि जब शिविर अनुमति की बाबत उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया तो उनके द्वारा सीओ लोनी, इओ, सीएफओ, एफएसओ व सहायक निदेशक विधुत सुरक्षा विभाग,सभी के द्वारा जाँचकर आख्या प्रेषित करने के लिए कहा गया। जिनके निर्देशानुसार हम सर्वप्रथम ईओ महोदय के कार्यालय पहुंचे तो वह नदारद मिले। इसके बाद सीओ लोनी के पास पहुंचे तो उन्होंने थानाध्यक्ष लोनी बॉर्डर एंव विद्युत कार्यालय टीला मोड़ को आख्या हेतु निर्देशित कर दिया। टीला मोड़ बिजलीघर पंहुचने पर एसडीओ साहब ने जेई की रिपोर्ट हेतु अग्रेसित कर दिया मगर वह मौजूद नहीं मिले। पीड़ित ने अपनी टीस उजागर करते हुए कहा कि ऐसे में शिविर व्यवस्था की अनुमति मिल पाना असम्भव सा लगने लगा है जो योगी सरकार की किरकिरी के साथ-साथ हिंदू समाज की भावनाओं एवं उनकी आस्थाओं के साथ भी खिलवाड़ है। "
रोड की स्थिति पहले ही जर्जर अवस्था में
जैसा की विधित है कि यह मार्ग मुख्य कावड़ मार्ग हैं। लेकिन उसके बाद भी यहां पर रोड की स्थिति जर्जर है और बंद फाटक तो अभी तक खुल नहीं सका है। इसको लेकर भी प्रशासन ने कोई सुविधा नहीं दी है। अगर कोई व्यक्ति कोई सेवक इन कावड़ियों की किसी तरह से सेवा करना चाहता है तो उसके अनुमति के लिए भी दर-दर भटकना पड़ रहा है ।
अब लोनी प्रशासन किसी तरह से जनता के आंदोलन का इंतजार कर रहा है। देखना यह होगा कि कितनी जल्दी लोनी के अधिकारी जो सोए हुए हैं इस बात को लेकर कितनी जल्दी जगते हैं और कितनी तत्परता से इसकी अनुमति देते हैं ।
शिविर अनुमति की नीति में सुधार की उठी मांग
माना की सुरक्षा व्यवस्था के चलते शिविर अनुमति के लिए कुछ आवश्यक निर्देशों का पालन करना होता है। मगर ज़रूरी है कि सरकारी तंत्र भी अपनी कार्यशैली को बदलें और कोई ऐसी उचित व्यवस्था बनाएं जिससे आस्थावानो को शिविर की अनुमति लेने में ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े वरना रोषित लोगों का गुस्सा कभी भी फूट सकता है।
विशेष संवाददाता :
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गौरव राय |
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